मोहबत्त

  तुझे किस हक़  और हद  से  ब्यान  करूं 


मैं अपने कलाम की स्याही से  


  स्याही के  रंग  मेरे  शायद  फीके  होंगे 

पर  कलम  के बोल  मेरे  सच्चे  होंगे 


मैं लिखूं अपने  कलम  के  स्याही  से  तो सिर्फ  शायद ही शायद  होंगे

 






 


  

Comments

Popular posts from this blog

चाहत ....

अफसोस......