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Showing posts from February, 2018

उम्मीद....

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अन्दर एक जंग  होती है , जिससे मैं  लड़ पाता नही फिर भी  शांति की आस में झूठी लड़ाई  लड़ता हूँ मैं                                   

अफसोस .....

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तन्हाई  की चादर  ओढे  सोया  हूँ  , ख़ामोशी  की  घूंट  पिए  बैठा  हूँ              दिल  में  मलाल  लिए    खड़ा    हूँ  कि                                    अगर  मोहब्बत  की  गलियों  में  बदनाम  होता  तो  गम  ना  था        पर मोहब्बत  की गलियों  में  गुमनाम  हुए  खोया  हूँ ..........

अफसोस...

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एक बात है जो बीत गयी     दिल के किसी कोने में दब गयी    एक सन्देश ये जो हेमेशा लाती है    कुछ रह गया रोज़ बतलाती है ...............

खोज ......

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हर  वक्त  कहीं  पहुचने  की  होर  है         पर होश  नही  , पहुचने  की  पता  क्या  है............... जय हिन्द .
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तो सोचता हूँ चलूँ या ना चलूँ  वो डगर    सब कहते हैं ,है वो डगर , पर कोई चलता ना उधर तू अकेला प ङ जायेगा , अगर तू चलता उधर देख इधर , देख इधर कई जाते ये डगर तू इतना क्यूँ सोचता , चल इधर , चल इधर कोई नही सोचता , तो तुम क्यूँ हो सोचते सोचना नही धर्म हमारा , कर्म हमारा सिर्फ भागना भागना अपने कर्मो से है , भागना अपने कर्तव्यो से है भागना अपनों से है , भागना खुद से है ये भी नही सोचना , भागना कहाँ और क्यूँ है भाग के गुमशुदा रह के रही बनने मे है धर्मं............... तो मै इस धर्म को हूँ छो ङता , कर्म को हूँ त्यागता ...... कर शपथ , कर शपथ आग्निपथ , आग्निपथ. जय हिन्द .

खोज...

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मगर कोई मिलता नहीं जो चला हो वो डगर.... सुना है कुछ चलें हैं वो डगर                              मगर मुझे मिला नही कोई मगर

खोज......

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      बिना काम के ही व्यस्त हूँ,बिना कारण ही परेशान हूँ                                                                                  ढूँढता हूँ वो डगर ,चाहता हूँ वो डगर                                                                                                          जहां शुकून मिले एक पल, ठहर जाये ये पग                                                                                           चाहता हूँ वो डगर ,ढूँढता हूँ वो डगर.......