चाहत ....
चाहता हूँ इस दिल के उछले तरंगों को बाहर रख दूँ पर कोई कोई मिले जिसके सामने रख दूँ शायद कोई होगा जो मेरे तरंगों के भावनाओं को समझेगा पर हया इस बात से मुझको की कोई क्या समझेगा ...........