तो सोचता हूँ चलूँ या ना चलूँ वो डगर
सब कहते हैं ,है वो डगर , पर कोई चलता ना उधर
तू अकेला पङ जायेगा , अगर तू चलता उधर
देख इधर , देख इधर कई जाते ये डगर
तू इतना क्यूँ सोचता , चल इधर , चल इधर
कोई नही सोचता , तो तुम क्यूँ हो सोचते
सोचना नही धर्म हमारा , कर्म हमारा सिर्फ भागना
भागना अपने कर्मो से है , भागना अपने कर्तव्यो से है
भागना अपनों से है , भागना खुद से है
ये भी नही सोचना , भागना कहाँ और क्यूँ है
भाग के गुमशुदा रह के रही बनने मे है धर्मं...............
सब कहते हैं ,है वो डगर , पर कोई चलता ना उधर
तू अकेला पङ जायेगा , अगर तू चलता उधर
देख इधर , देख इधर कई जाते ये डगर
तू इतना क्यूँ सोचता , चल इधर , चल इधर
कोई नही सोचता , तो तुम क्यूँ हो सोचते
सोचना नही धर्म हमारा , कर्म हमारा सिर्फ भागना
भागना अपने कर्मो से है , भागना अपने कर्तव्यो से है
भागना अपनों से है , भागना खुद से है
ये भी नही सोचना , भागना कहाँ और क्यूँ है
भाग के गुमशुदा रह के रही बनने मे है धर्मं...............
- तो मै इस धर्म को हूँ छोङता , कर्म को हूँ त्यागता ......
- कर शपथ , कर शपथ
- आग्निपथ , आग्निपथ.
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